Friday, 17 February 2017

रंगीलो राजस्थान यात्रा भाग-2

दूसरा दिन 31 दिसम्बर 2016- जैसा कि यात्रा के भाग एक में, मैं बता ही चुका हूँ कि यात्रा की शुरुआत बाबा रामदेवरा के दर्शन से हो चुकी थी और दूसरे दिन की शुरुआत भी । यहाँ से जल्दी दर्शन करने के बाद हम फिर से आगे निकल लिये यहाँ से 10 कि.मी. आगे ही पोखरन है वहा पहुंचकर हमने एक पैट्रोल पम्प पे गाडी मे डीजल भरवाया और हाथ मुह धोकर गाडी को साइड से लगाकर सुबह का नाश्ता लिया । नाश्ता क्या था विक्की भैया भाभी के हाथ की मीठी पूडी बनवाकर लाये थे, रास्ते में एक जगह छोंकरवाडा नाम की जगह है जहाँ अचार बहुत अच्छा मिलता है वहाँ से हम अचार साथ लेकर आये थे फिर क्या था भूख तो लग ही रही थी खींच दी 8-10 पूडी ।बहुत ही स्वादिस्ट भोजन था । फिर एक चाय पीकर निकल लिये सफर पे ।वैसे हमारा विचार सीधा जैसलमेर पहुंचने का था लेकिन जैसलमेर से 40या 45 कि.मी.. पहले से विचार बदल गया और गूगल बाबा को कुलधरा गाव का इशारा कर दिया अब हमारा विचार ठेट राजस्थान के दर्शन करने का था और वो हाइवे से सम्भव नही था अतः अब हमने एसा रास्ता चुना जो वाकई हमे राजस्थान का दर्शन करवाये ।और हमने अपनी गाडी घुमा दी एक सुनसान रास्ते पे जो वाकई बहुत खूबसूरत था।यहां से हमने राजस्थान की प्राकृतिक सुंदरता का  भरपूर लुत्फ़ उठाना शुरु किया।







समय बीतता गया और नये नये आयाम यात्रा में जुडते गये चाहे वो भेड और बकरियो का झुंड हो या रेगिस्तान का जहाज  ऊंट हो ।बहुत ही मनमोहक रास्ता था।








यहाँ एक शौक और पूरा हुआ बेरी के बेर खाने का बहुत ही मीठे और पके हुये बेर गाडी रोककर जब तक बेर खाये जबतक कि मन नही भर गया ।



रास्ता एसा था कि मीलो तक कोई दिखायी ना दे ।घंटो चलने के बाद एक  गांव दिखयी दिया तो सोचा एक फोटो यहाँ भी ले ली जाय।

थोडा आगे और चले तो पवनचक्की  दिखायी दी। राजस्थान में ऊर्जा का एक बहुत बडा विकल्प ।



एसे ही हसते गाते कब कुलधरा गांव पहुंच गये पता ही नही चला खैर आज के दिन का हमारा पहला स्थल आ चुका था जिसके लिये हम सुबह से लगातार चल रहे थे।


कुलधरा गांव एक नजर में- कुलधरा गांव जिसे भूतहा गांव भी कहा जाताहैजैसलमेर से करीब 18 किलोमीटर दूरी पर स्थित है । कहते हैं सन 1291 के आसपास रईस और मेहनती पालीवाल ब्राह्मणों ने 600 घरों वाले इस गांव को बसाया था। यह भी माना जाता है कि कुलधरा के आसपास 84 गांव थे और इन सभी में पालीवाल ब्राह्मण ही रहा करते थे।
लेकिन ऐसा क्या हुआ जो हंसते-खेलते 84 गांव के लोग अचानक बस एक ही रात में अपना घर, मकान, खेती, सब कुछ छोड़कर जाने के लिए मजबूर हो गए? इसी सवाल से जुड़ी है कुलधरा की रहस्यमय दास्तां जिसका संबंध कथित तौर पर श्राप और बुरी आत्माओं से है। 
 खुशहाल जीवन जीने वाले पालीवाल ब्राह्मणों पर वहां के दीवान सालम सिंह की बुरी नजर पड़ गई। सालम सिंह को एक ब्राह्मण लड़की पसंद आ गई और वह हर संभव कोशिश कर उसे पाने की कोशिश करने लगा।
जब उसकी सारी कोशिशें नाकाम होने लगीं तब सालम सिंह ने गांव वालों को यह धमकी दी कि या तो पूर्णमासी तक वे उस लड़की को उसे सौंप दें या फिर वह स्वयं उसे उठाकर ले जाएगा।गांव वालों के सामने एक लड़की के सम्मान को बचाने की चुनौती थी। वह चाहते तो एक लड़की की आहुति देकर अपना घर बचाकर रख सकते थे लेकिन उन्होंने दूसरा रास्ता चुना।
एक रात 84 गांव के सभी ब्राह्मणों ने बैठकर एक निर्णय लिया कि वे रातों रात इस गांव को खाली कर देंगे लेकिन उस लड़की को कुछ नहीं होने देंगे। बस एक ही रात में कुलधरा समेत आसपास के सभी गांव खाली हो गए। जाते-जाते वे लोग इस गांव को श्राप दे गए कि इस स्थान पर कोई भी नहीं बस पाएगा, जो भी यहां आएगा वह बरबाद हो जाएगा।
कुलधरा की सुनसान और बंजर जमीन का पीछा वह श्राप आज तक कर रहा है। तभी तो जिसने भी उन मकानों में रहने या उस स्थान पर बसने की हिम्मत की वह बर्बाद हो गया।(साभार-गूगल सर्च)
एक दूसरा तथ्य ये भी है कि वहा पानी न होने के कारण यहाँ के लोग  यहाँ से पलायन कर गये ।
खैर कारण जो भी हो यहा अब वीराना ही वीराना है ।प्रस्तुत है कुछ छाया चित्र (साभार- नरेश चौधरी)














कुलधरा गांव का भ्रमण करने के बाद अब हमारा अगला निशाना था सम गांव के रेत के टीले जोकि जैसलमेर से 40कि.मी. दूर है । राजस्थान का असली रूप और पर्यटन का प्रमुख स्थल ।भारतीय फिल्म इंड्स्ट्री के लिये भी एक खास जगह जहाँ बहुत सी फिल्मो की शूटिंग हुयी है। चूंकि आज 31 दिसम्बर भी था तो न्यू यीअर मनाने के लिये लोग भारी मात्रा में  यहाँ आये हुये थे।और हम भी उसी भीड का हिस्सा बनने पहुंच गये सम गाव्।
सबसे पहले हमने वहा  पहुंचकर नहाने का जुगाड किया ।जुगाड क्या था रास्ते में एक जगह एक पानी की टंकी से पानी बहता हुआ देख लिया फिर क्या था जम गया डेरा वही पर ।
वैसे भी पिछले 24 घंटे से गाडी चल रही थी तो थके हुये थे नहा धो कर बहुत आराम मिला फिर खाना खाया लेकिन मन  बहुत बेताब हो रहा था रेत मे  चलने को । चारो तरफ  लोग ही लोग और ग़ाडिया  ग़ाडिया थी। कोई हवा मे उड रहा था तो कोई ऊंट की सवारी का आनंद ले रहाथा।


कोई बग्गी की सवारी तो कोई कार में रेत का आनंद ले रहा था । भारी पुलिस बल तैनात था ।सब लोग अपना अपना कैम्प बुक करा रहे थे रात में रुकने और नये साल के स्वागत के लिये।



जहाँ तक नजर जा रही थी रेत ही रेत और रेत क्या सोना ,  इतनी चमक और सुंदरता जिसका मेरे पास शब्दो  में  वर्णन नही है। यही वो जगह थी जिसका मुझे दीदार करना था या यू  कहे कि यही वो जगह थी जिसे मैं अक्सर सपनो  में देखा करता था ।सभी साथियो  की राय थी की रेगिस्तान में सफारी का आनंद  ग़ाडी से लिया जाय लेकिन मेरा विचार बिल्कुल जुदा था मुझे तो पैदल ही सफारी का आनंद लेना था ।थोडी सी ना नुकर के बाद सभी साथी भी मान गये । फिर क्या था शुरु हो  गया एक  अद्भुत अहसास  ।













यहाँ लोगो की खुशी छुपाये नहीं छुप रही थी सब अपने अपने  तरीके से अपनी खुशी का इजहार कर रहे थे । हम तो ठहरे देशी और हम जब खुश होते है तो अलग तरह से खुशी मनाते है।फोटो में देखिये कैसे किया अपनी खुशी का इजहार..  





फोटो साभार -नरेश चौधरी
नरेश की फोटोग्राफी बहुत शानदार रही जिससे यह यात्रा और शानदार बन गयी खैर धीरे धीरे  दिन ढलता गया और सूर्यदेव भी छुपने की तैयारी में थे । सब लोग वापस अपने कैम्प की ओर प्रस्थान करने लगे और नरेश ने सूर्यदेव के कुछ बेहतरीन फोटो लिये।







दिन छिपने लगा हम भी अब वापस लौटने की तैयारी में थे लेकिन मन हो रहा था इसी रेत में लेटकर रात बिता दी जाय।खैर खयाल तो खयाल ही होते  है । हमें वापस जैसलमेर भी पहुंचना था । लेकिन लौटते समय एक ही गाना बार बार जहन मे आ रहा था...
कही दूर जब दिन ढल जाये सांझ की दुल्हन बदन चुराये, मेरे खयालो के आंगन में कोई सपनो  का दीप जलाये...






यहाँ से चलने के बाद हम अगले एक घंटे में जैसलमेर पहुंच गये वहा  जाकर रात 8बजे हमने खाना खाया और उसके बाद कैप्टन के. वी. के पास पहुंच गये । वहा पहले से ही हमारे रुकने का इंतज़ाम हो रखा था। बहुत शानदार मेज़बानी हमारा इंतेज़ार कर रही थी ।
बाकी अगले भाग में.......................

3 comments:

  1. आपका यह यात्रा वृत्तांत रोम रोम पुलकित कर देता है । तस्विर तो बहुत ही मनमोहक है ।
    अगली भाग की प्रतिक्षा मे बैठा हूँ ।

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  2. बहुत ही सुंदर वर्णन किया है आपने

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    1. hausalaa badhane ke liye bahut bahut dhanybaad bhai jii

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