Wednesday 8 February 2017

रंगीलो राजस्थान यात्रा भाग-1

यात्रा एक नजर मेंः-यात्रा कुल चार दिन  एवं चार रात्रि में सम्पन्न हुयी।कुल 2400 कि.मी. की दूरी तय हुयी जिसमे कि जयपुर होते हुये रामदेवरा,पोखरन,कुलधरा गाव,सम सेन्ड ,लोंगेवाला,तनोट माता मंदिर, जैसलमेर ,जोधपुर,मेडता,पुस्कर होते हुये वापस मथुरा आकर सम्पन्न हुयी।यात्रा में कुल 5 लोग थे और यात्रा का कुल खर्च 12500 ॥
पहला दिन 30 दिसम्बर 2016-यात्रा का पहला दिन बहुत ही नाटकीय रहा जैसा कि हमेशा मेरे साथ होता आया है ।ना तो ये पता था कि कौन कौन जाने वाला है ना ही वाहन का पता  । ये जरूर पता था कि जाना है और मेरा और नरेश का जाना तय था। मगर इसमे एक किरदार और जुडा विक्की जिसने सुबह से शाम केवल इसलिये कर दी कि उसे जाना ज़रूर है मगर कैसे उसे भी  नही पता । इसी उधेडबुन में सुबह से शाम कर दी महाशय ने खैर देर आये दुरुस्त आये वाली कहावत यहाँ सही साबित हुयी और आखिरकार वंदा अपनी कार लेकर और दो सहपाठी लेकर आ पहुंचा मथुरा मेरे घर ।मैं और नरेश तो पहले से तैयार थे ही अपना बैग लेकर ।शाम के चार बज चुके थे और हमारी टीम तैयार थी हम 5 साथी मैं,नरेश,विक्की,विक्रम उर्फ भगतजी,और चाचा और विक्की की स्विफ्ट ।शाम के लगभग 4 बजे हमने यात्रा की शुरुआत की ।ग्रुप में यात्रा करने का सबसे बडा फायदा ये है कि आप कभीभी बोर नहीं हो सकते और साथ ही हैरान और परेशान भी।नरेश ने अपने फोन में गूगल बाबा का भरपूर फायदा उठाया हालांकि ये कभी कभी परेशानी का शबब भी बन जाता है खासकर ग्रामीण इलाको में लेकिन फिर भी घुमक्कडो के लिये बहुत ही काम की चीज है ।खैर यात्रा शुरु हो गयी और बातो बातो में कब जयपुर आ गया पता ही नही चला । जयपुर में पहुंचते ही हमारा स्वागत पुलिस वालो ने किया क्युकि नाही किसी ने सीटबेल्ट लगा रखी थी और ना ही हैड लाइट लो बीम पे थी ।जयपुर में ये नियम मुझे पहले से ही पता था कि गाडी की लाइट लो बीम पे होनी चाहिये नही तो चालान हो जाता है मगर फिर भी बातो मे इतने मशगूल थे कि याद ही नही रहा और हो गया स्वागत। 500 रुपये देकर महोदय के हाथ जोडे और चल दिये आगे के सफर पे। रात के दस बज चुके थे और अब सबकी एक ही राय थी कि खाना खा लिया जाय। फिर क्या था गाडी को साइड से लगा कर बैठ गये खाना खाने । इस यात्रा में एक बात बहुत ही शानदार रही और वो था खाना । अक्सर यात्रा में इसी बात की कमी रहती है खासकर मुझे बहुत परेशानी होती है लेकिन ये यात्रा इस लिहाज से बहुत ही शानदार रही ।खैर अब खाना खाने के बाद निकलना था ,जयपुर से दो रास्ते थे जैसलमेर के लिये एक तो अजमेर होते हुये पोखरन और जैसलमेर दूसरा खाटू कला, कुचामन सिटी से नागौर होते हुये जैसलमेर ।दूसरा रास्ता हालांकि सिंगल था फिर भी हमने वही चुना क्युकि एक तो भीड नही थी और दूसरा हमें बाबा रामदेवरा के दर्शन भी करने थे क्युकि यात्रा का पहला पडाव रामदेवरा ही था ।
 यू तो हम 5 लोग थे गाडी मे लेकिन सुनसान रास्ता था दूर दूर तक कोई भी दूसरा वाहन नही और हम बिना किसी भी डर के चलते जा रहे थे और एसा सिर्फ राजस्थान में ही सम्भव है ।खैर रात बीतती गयी और हम चलते रहे पह्ले कुचामन फिर नागौर होते हुये हम आगे बढे लेकिन सुबह 5बजते ही घना कोहरा आ गया और बहुत तेज शीत लहर ।एसा मौसम राजस्थान में अक्सर कम ही देखने को मिलता है।लेकिन हमने धीरे धीरे चलना जारी रखा और सुबह सात बजे  बाबा रामदेवरा के दर पर पहुंच ही गये ।बहुत ही भव्य मंदिर और बहुत ही मान्यता वाला तीर्थ स्थल ।










यहाँ पहुंच कर गाडी पार्किंग में लगायी यहाँ गाडी पार्किंग के पैसे नही लेते मगर शर्त इतनी सी है कि प्रसाद उसी की दुकान से लेना होगा । और उसी से पैसा वसूल कहो तो डबल से भी ज्यादा। खैर जल्दी से प्रसाद लिया और पहुंच गये मंदिर ,मन बेताब था दर्शन केलिये और वैसे भी पूरी रात निकल चुकी थी  गाडी में बैठे बैठे।हम सुबह सुबह पहुंच गये थे मगर फिर भी गजब की भीड थी।लेकिन भीड का भ्रम उस समय टूटा जब आगे खडे एक साहब ने बताया कि यहा 5 कि. मी.लम्बी लाइन लगती है ये तो कुछ भी नही है।फिर इतिहास पता किया गया तो पता चला कि बाबा रामदेवरा कलयुग में भगवान का अवतार थे जिन्होने जीते जी बहुत से चमत्कार किये या यू कहे कि बहुत से जन कल्यान के कार्य किये।भीड तो थी लेकिन दर्शन बहुत अच्छे से हुये ।ये था यात्रा का पहला पडाव और दूसरे दिन की शुरुआत॥

2 comments:

  1. भाई फोटो के साईझ कम करो, ज्यादा बडे हो गये है।
    वैसे आपकी इस वाली यात्रा में बहुत कुछ ऐसा है जो मेरा बचा हुआ है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हो गया गुरुदेव। एसे ही मार्गदर्शन करते रहिये ....धन्यबाद

      Delete